एक निर्माणाधीन भवन की सातवीं मंजिल से ठेकेदार ने नीचे काम करने वाले मजदूर को आवाज दी. निर्माण कार्य की तेज आवाज के कारण मजदूर सुन न सका कि उसका ठेकेदार उसे आवाज दे रहा है. ठेकेदार ने उसका ध्यान आकर्षित करने के लिए एक 1 रुपये का सिक्का नीचे फेंका जो ठीक मजदूर के सामने जा कर गिरा. मजदूर ने सिक्का उठाया और अपनी जेब में रख लिया और फिर अपने काम मे लग गया. अब उसका ध्यान खींचने के लिए ठेकेदार ने पुन: एक 5 रुपये का सिक्का नीचे फेंका. फिर 10 रुपये का सिक्का फेंका. उस मजदूर ने फिर वही किया और सिक्के जेब मे रख कर अपने काम मे लग गया. यह देख अब ठेकेदार ने एक छोटा सा पत्थर का टुकड़ा लिया और मजदूर के उपर फेंका जो सीधा मजदूर के सिर पर लगा. अब मजदूर ने ऊपर देखा और ठेकेदार से बात चालू हो गयी. ऐसी ही घटनायें हमारी जिन्दगी में भी घटती रहती हैं. भगवान हमसे संपर्क करना चाहते है लेकिन हम दुनियादारी के कामों में इतने व्यस्त रहते हैं कि प्रभु से मिलने का हमारे पास समय ही नहीं है। भगवान हमें छोटी छोटी खुशियों के रूप मे उपहार देते रहते है लेकिन हम उन्हे याद नहीं करते और वो खुशियां और उपहार कहाँ से आये यह न देखते हुए, उनका उपयोग कर लेते हैं और भगवान को याद ही नहीं करते. भगवान हमें और भी खुशियों रूपी उपहार भेजते है लेकिन उसे भी हम अपना भाग्य समझ कर रख लेते हैं, भगवान का धन्यवाद नहीं करते, उन्हें भूल जाते हैं. तब भगवान हम पर एक छोटा सा पत्थर फेंकते हैं, जिसे हम कठिनाई, तकलीफ या दुख कहते हैं फिर हम तुरन्त उसके निराकरण के लिए भगवान की ओर देखते हैं, याद करते हैं. यही जिन्दगी मे हो रहा है. यदि हम हमारी छोटी से छोटी ख़ुशी भी भगवान के साथ उसका धन्यवाद देते हुए बाँटें तो हमें भगवान के द्वारा फेंके हुए पत्थर का इन्तजार ही नहीं करना पड़ेगा. प्रातः कालीन सुबह उठकर और रात्रि में सोने से पहले प्रभु से मिलने का समय बहुत अच्छा होता है इस समय हमारा सबकॉन्शियस माइंड जागृत अवस्था में होता है ऐसा करने से हमें सारा दिन प्रभु की मदद मिलती है और मन शांत रहता है